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लक्ष्मीकांत वर्मा

1922 | बस्ती, उत्तर प्रदेश

सुपरिचित उपन्यासकार, निबंधकार, आलोचक और संपादक। 'ख़ाली कुर्सी की आत्मा', 'सफ़ेद चेहरे', 'तीसरा प्रसंग' आदि दर्जनाधिक कृतियाँ प्रकाशित।

सुपरिचित उपन्यासकार, निबंधकार, आलोचक और संपादक। 'ख़ाली कुर्सी की आत्मा', 'सफ़ेद चेहरे', 'तीसरा प्रसंग' आदि दर्जनाधिक कृतियाँ प्रकाशित।

लक्ष्मीकांत वर्मा के उद्धरण

अँधेरा ही एक ऐसी चीज़ है जो हर आदमी की शकल को एक बना देती है।

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