कन्हैयालाल सहल का आलोचनात्मक लेखन
सरदार पूर्णसिंह और उनकी विचार धारा
फ्रांस के एक प्रसिद्ध आलोचक का कथन है कि यदि किसी कलाकार की कृतियों के रहस्य को हृदयंगम करना हो तो उसके जीवन की सभी घटनाओं का भली-भाँति अध्ययन करना चाहिए। सरदार पूर्णसिंह ने चार पाँच निबंध लिखकर ही हिंदी के निबंध-साहित्य में जो शीर्ष स्थान प्राप्त किया
कामायनी के सर्गों को अनुक्रम
छायावादी युग प्रधानत: प्रगीत रचनाओं का युग था। प्रसाद को छोड़कर अन्य किसी छायावादी कवि ने प्रबंध काव्य की रचना नहीं की और प्रसाद ने जिस ‘कामायनी’ महाकाव्य की सृष्टि की, वह केवल कवि का कीर्ति-स्तंभ ही नहीं, भारतीय संस्कृति की अमर निधि भी है। काव्य के
रामचंद्रिका के संबंध में कुछ ज्ञातव्य बातें
‘रामचंद्रिका’ की भाषा यद्यपि ब्रजभाषा है किंतु उसमे बुंदेलखंडी का पुट स्थान-स्थान पर मिलता है। जैसे— (1) राम देखि रघुनाथ, रथ ते उत्तरे वेगि दै। ‘शीघ्रता से’ के अर्थ में ‘वेगि दै’ बुंदेलखंडी प्रयोग है। ज़ोर के लिए ‘दे’ का प्रयोग राजस्थानी में भी देखा
छायावाद की चालढाल
जिन दिनों छायावाद का आंदोलन चला था उन दिनों इस काव्यधारा की रेखाएँ वट-वृक्ष की जड़ों की तरह उलझी हुई थीं, तर्कनाल की तरह बिखरी हुई थीं। दूसरी बात यह है कि छायावाद को संपूर्ण रूप में देखना उस समय संभव भी न था। उस समय छायावादी काव्य अपने निर्माण की प्रक्रिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere