कमलेश्वर की कहानियाँ
राजा निरबंसिया
''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें
मांस का दरिया
जुगनू की तबीअत इन दिनों कुछ नासाज़ सी है। पर काम नहीं करेगी तो चलेगा कैसे? इस बीच नियमित ग्राहकों के अलावा एक झोले वाला आदमी भी उसके पास आने लगा है। वह आदमी है मदनलाल। इस बीच बीमारी बढ़ती है, पर कुछ समय बाद मजबूरी जुगनू को दुबारा इस पेशे में आने के लिए