Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

जयदेव

12वीं सदी के समादृत संस्कृत कवि। 'गीतगोविन्दम्' के रचयिता।

12वीं सदी के समादृत संस्कृत कवि। 'गीतगोविन्दम्' के रचयिता।

जयदेव के उद्धरण

चने बेचते हो और बदले में सुंदर मोती चाहते हो? व्यक्ति जो कुछ बोएगा, वही काटेगा।

हे दशावतारधारी कृष्ण! तुम मत्स्यरूप में वेदों का उद्धार करते हो। कूर्म रूप में जगत् को धारण करते हो। नृसिंह रूप में दैत्य को नष्ट करते हो। वामन रूप में बलि को छलते हो। परशुराम रूप में क्षत्रियों का नाश करते हो। रामचन्द्र रूप में रावण को जीतते हो। बलराम रूप में हल को धारण करते हो। बुद्ध रूप में करुणा को वितरित करते हो, और कलि रूप में म्लेच्छों को नष्ट करते हो। तुम्हें नमस्कार है।

Recitation