फ़रीदुद्दीन अत्तार के उद्धरण

मृत्यु ने न तो मूर्ख को छोड़ा और न बुद्धिमान क उसके लिए भले और बुरे समान हैं।
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जो कुछ मैंने अपनी इन आँखों से देखा है वह किसी को भी दिखलाई नहीं दिया और जो बोझ मैंने अपने हृदय के कारण उठाया है, वह किसी ने भी नहीं उठाया है।
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प्रेम का एक कण भी सारे संसार से बढ़कर मूल्य रखता है और तनिक सी पीड़ा संपूर्ण संसार के प्रेमियों से बढ़कर बात है।
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