चंदन यादव की कहानियाँ
आलू की सड़क
एक भालू था। नानी के घर दूर जाना था। रास्ते में खाने के लिए भालू ने बोरा-भर आलू पीठ पर रख लिए। पर बोरे में छेद था। भालू आगे बढ़ता जाता—धप्प, धप्प, धप्प। बोरे से आलू टपकते जाते—टप्प, टप्प, टप्प। रास्ते में पीपल के पेड़ पर एक बंदर बैठा था। उसने
ख़तरे में साँप
सारे जानवर इकट्ठे हुए थे। बात चल रही थी कि ख़तरे में अपनी जान कैसे बचाएँ? देर तक बहस चली। अंत में सबको बंदर की सलाह ठीक लगी। बंदर की सलाह थी कि ख़तरे के समय ‘सिर पर पैर रखकर भागना’ सबसे अच्छा है। बातचीत समाप्त हुई और सारे जानवर अपने-अपने ठिकाने चले
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere