बनारसी दास के कवित्त
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1586 - 1643 | जौनपुर, उत्तर प्रदेश
भक्तिकालीन कवि और गद्यकार। हिंदी की पहली आत्मकथा 'अर्द्धकथानक' के लिए स्मरणीय।
भक्तिकालीन कवि और गद्यकार। हिंदी की पहली आत्मकथा 'अर्द्धकथानक' के लिए स्मरणीय।