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जा में सदा उतपात रोगन सों छीजै गात

ja mein sada utpat rogan son chhijai gat

बनारसी दास

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बनारसी दास

जा में सदा उतपात रोगन सों छीजै गात

बनारसी दास

और अधिकबनारसी दास

    जा में सदा उतपात रोगन सों छीजै गात,

    कछू उपाय छिन-छिन आयु खपनो।

    कीजे बहु पाप नरक दुख चिन्ता व्याप,

    आपदा कलाप में विलाप ताप तपनो॥

    जा में परिगह को विषाद मिथ्या बकवाद,

    विषैभोग सुख को सवाद जैसो सपनो।

    ऐसो है जगतवास जैसो चपला विलास,

    तामें तूं मगन भयो त्याग धर्म अपनो॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : बनारसीविलास (पृष्ठ 205)
    • रचनाकार : बनारसीदास
    • प्रकाशन : वीर सेवा मंदिर सरसावा सहारनपुर
    • संस्करण : 1941

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