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अमरु

संस्कृत के प्रशंसित शृंगार काव्य कवि। 'अमरुशतकम्' कृति के लिए उल्लेखनीय।

संस्कृत के प्रशंसित शृंगार काव्य कवि। 'अमरुशतकम्' कृति के लिए उल्लेखनीय।

अमरु की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 1

हे सखी! ये पुरुष किसके सगे होते हैं? मैं जिसे 'काला' कहती थी, उसे वे 'काला' कहते थे। मैं कहती थी कि यह श्वेत है' तो वे कहते थे 'यह श्वेत है'। मैं कहती थी कि 'अब चलें' तो वे कहते थे 'चलो'। मैं कहती थी 'रहने दें' तो वे कहते थे 'अच्छा रहने दें'। इस प्रकार जो मेरे मन के पीछे-पीछे चला करते थे, वे ही अब पराए हो गए।

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