अज्ञेय के संस्मरण
जेल के दिन
समय की दूरी सभी अनुभवों को मीठा कर देती है, तात्कालिक परिस्थिति में भले ही वे कितनी ही तीखी और कटु हो। इसलिए आज यह कहना अनुचित न होगा कि जेल की मेरी स्मृतियाँ मधुर ही मधुर है—उन अनुभवों की भी जो तब भी मीठे थे, और उन की भी जो उस समय अपनी कटुता के कारण