Font by Mehr Nastaliq Web

वसंत-वर्णन (दो) : रामचरितमानस

wasant warnan (do) ha ramacharitmanas

तुलसीदास

अन्य

अन्य

तुलसीदास

वसंत-वर्णन (दो) : रामचरितमानस

तुलसीदास

और अधिकतुलसीदास

    सुखी मीन सब एक रस अति अगाध जल माहिं।

    जथा धर्म सीलन्ह के दिन सुख संजुत जाहिं॥

    बिकसे सरसिज नाना रंगा। मधुर मुखर गुंजत बहुत भृंगा॥

    बोलत जलकुक्कुट कल हँसा। प्रभु बिलोकि जनु करत प्रसंसा॥

    चक्रवाक बक खग समुदाई। देखत बनइ बरनि नहिं जाई॥

    सुंदर खग गन गिरा सुहाई। जात पथिक जनु लेत बोलाई॥

    ताल समीप मुनिन्ह गृह छाए। चहुँ दिसि कानन बिटप सुहाए॥

    चंपक बकुल कदंब तमाला। पाटल पनस परास रसाला॥

    नव पल्लव कुसुमित तरु नाना। चंचरीक पटली कर गाना॥

    सीतल मंद सुगंध सुभाऊ। संतत बहइ मनोहर बाऊ॥

    कुहू कुहू कोकिल धुनि करहीं। सुनि रव सरस ध्यान मुनि टरहीं॥

    उस सरोवर के अत्यंत अथाह जल में सब मछलियाँ सुखी हैं, जैसे धर्मात्मा पुरुषों के सब दिन सुखपूर्वक बीतते हैं।

    उसमें अनेक रंगों के कमल खिले हैं। बहुत-से भौंरे मधुर स्वर से गुँजार कर रहे हैं। जल के मुर्गे और राजहंस बोल रहे हैं। मानो प्रभु को देखकर उनकी वे प्रशंसा कर रहे हैं। चकवा, बगुले आदि पक्षियों का समूह देखते ही बनता है, वर्णन नहीं किया जा सकता। सुंदर पक्षियों की सुहावनी बोली आगे जाते हुए पथिक को भी मानो बुलाए लेती है। सरोवर के निकट मुनियों ने आश्रम बना रखे हैं। उसके चारों ओर वन के सुंदर-सुंदर वृक्ष हैं। चंपा, मौलसिरी, कदंब, तमाल, पाटल, कटहल, ढाक और आम आदि−अनेक प्रकार के वृक्ष नए पल्लवों और वृक्षों से युक्त हैं, जिन पर भौंरों की पंक्ति गुँजार कर रही है। स्वभाव ही से शीतल, मंद, सुगंधित और मन को हरने वाली वायु सदा बहती रहती है। कोकिलाएँ ‘कुहू’ ‘कुहू’ ध्वनि कर रही हैं। उनकी रसीली बोली सुनकर मुनियों का भी ध्यान टूट जाता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : श्री रामचरितमानस (पृष्ठ 463)
    • रचनाकार : तुलसी
    • प्रकाशन : लोकभारती
    • संस्करण : 2017

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए