Font by Mehr Nastaliq Web

साहब मेटो चूक हमारी

sahab meto chook hamari

धनी धरमदास

अन्य

अन्य

धनी धरमदास

साहब मेटो चूक हमारी

धनी धरमदास

और अधिकधनी धरमदास

    साहब मेटो चूक हमारी॥टेक॥

    बार-बार मोहिं डंड भयो है, चूक भई अति भारी॥

    अब हम आये निकट तुम्हारे, अब मो तनहिं निहारो।

    करुनामय तुम नाम धराये, तुम समरथ अब मेरो॥

    ऐसी बिपति भई मोहिं ऊपर, कोइ हीत हमारो।

    तरसत जीव रहै निस बासर, जानि जनहिं तुम दौ रौ॥

    अब की चूक छिमा कर साहेब, अब सनमुख ह्वै हेरो।

    तुम सतगुरु सकल सुख दाता, सबद पान तै तारौ॥

    धरमदास बिनवै कर जोरी, करौं बंदगी तेरो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 251)
    • संपादक : जगजीवन राम
    • रचनाकार : धरमदास
    • प्रकाशन : मोेतीलाल बनारसी, दिल्ली
    • संस्करण : 1963

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए