चेला सब सूता, नाथ सतगुर जागै

chela sab suuta, naath satgur jaagai

गोरखनाथ

गोरखनाथ

चेला सब सूता, नाथ सतगुर जागै

गोरखनाथ

चेला सब सूता, नाथ सतगुर जागै।

दसवैं द्वारि अवधू मधुकरी मांगै॥

सहजै खपरा सुषमनि डंडा।

पांच संगाती मिलि खेलैं नव खंडा॥

गंग जमन मधि आसण बालौ।

अनहद नाद काल मैं टालौ॥

गगन मंडल मैं रमूँ अकेला।

उरध मुखि बंकनालि अमी रस झेला॥

कथंत गारेखनाथ गुरु उपदेसा।

मिल्यां संत जन टल्या अंदेसा॥

शिष्य सब सोए पड़े हैं, केवल नाथ सगतुरु (ब्रह्म) ही जाग रहा है। इसलिए अवधू दसवें द्वार (ब्रह्मरंध) पर मधुकरी (अमृतरस) माँग रहा है। सहज साधना उसका खपर (कमंडल) है और सुषुम्ना डंडा है। वह पाँचों ज्ञानेद्रियों के साथ शरीर के नौ द्वारों में खेल रहा है। गंगा और यमुना (श्वास और प्रश्वास या चंद्र और सूर्य नाड़ियों) के मध्य वह धूनी जलाए बैठा है। वह आकाश (ब्रह्म स्थान में अकेला रमा है और ऊर्ध्वमुख करके बंकनाल से अमृतरस ले रहा है। गोरखनाथ गुरु का उपदेश बता रहा है कि संतजन मिलने पर भ्रम दूर हो जाता है।

स्रोत :
  • पुस्तक : श्री गोरख गीत (पृष्ठ 75)
  • रचनाकार : गोरखनाथ
  • प्रकाशन : laxmi prakashan

यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY