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पिता के पत्र पुत्री के नाम ('फ़ॉसिल' और पुराने खंडहर)

pita ke patr putri ke naam (‘fausil’ aur purane khanDhar)

जवाहरलाल नेहरू

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पिता के पत्र पुत्री के नाम ('फ़ॉसिल' और पुराने खंडहर)

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    मैंने अरसे से तुम्हें कोई ख़त नहीं लिखा। पिछले दो खतों में हमने उस पुराने ज़माने पर एक नज़र डाली थी जिसका हम अपने ख़तों में चर्चा कर रहे हैं। मैंने तुम्हें पुरानी मछलियों की हड्डियों के पोस्टकार्ड भेजे थे जिससे तुम्हें ख़याल हो जाए कि ये 'फ़ॉसिल' कैसे होते हैं। मसूरी में जब तुमसे मेरी मुलाक़ात हुई थी तो मैंने तुम्हें दूसरे क़िस्म के 'फ़ॉसिल' की तस्वीरें दिखाई थीं।

    पुराने रेंगनेवाले जानवरों की हड्डियों को ख़ासतौर से याद रखना। साँप, छिपकिली, मगर और कछुवे वग़ैरा जो आज भी मौजूद हैं, रेंगनेवाले जानवर हैं। पुराने ज़माने के रेंगनेवाले जानवर भी इसी जाति के थे पर क़द में बहुत बड़े थे और उनकी शक्ल में भी फ़र्क़ था। तुम्हें उन देव के से जंतुओं की याद होगी जिन्हें हमने साउथ केनसिंग्टन के अजायबघर में देखा था। उनमें से एक 30 या 40 फ़ीट लंबा था। एक क़िस्म का मेंढक भी था जो आदमी से बड़ा था और एक कछुआ भी उतना ही बड़ा था। उस ज़माने में बड़े भारी-भारी चमगादड़ उड़ा करते थे और एक जानवर जिसे इगुआनोडान कहते हैं, खड़ा होने से एक छोटे से पेड़ के बराबर हो जाता था।

    तुमने खान से निकले हुए पौधे भी पत्थर की सूरत में देखे थे। चट्टानों में 'फर्न' और पत्तियों और ताड़ों के ख़ूबसूरत निशान थे।

    रेंगनेवाले जानवरों के पैदा होने के बहुत दिन बाद वे जानवर पैदा हुए जो अपने बच्चों को दूध पिलाते हैं। ज़्यादातर जानवर जिन्हें हम देखते हैं, और हम लोग भी, इसी जाति में हैं। पुराने ज़माने के दूध पिलाने वाले जानवर हमारे आजकल के बाज़ जानवरों से बहुत मिलते थे। उनका कद अक्सर बहुत बड़ा होता था लेकिन रेंगनेवाले जानवरों के बराबर नहीं। बड़े-बड़े दाँतों वाले हाथी और बड़े डील-डौल के भालू भी होते थे।

    तुमने आदमी की हड्डियाँ भी देखी थीं। इन हड्डियों और खोपड़ियों के देखने में भला क्या मज़ा आता। इससे ज़्यादा दिलचस्प वे चकमक के औज़ार थे जिन्हें शुरू ज़माने के लोग काम में लाते थे।

    मैंने तुम्हें मिस्र के मक़बरों और ममियों की तस्वीरें भी दिखाई थीं। तुम्हें याद होगा इनमें से बाज़ बहुत ख़ूबसूरत थीं। लकड़ी की ताबूतों पर लोगों की बड़ी-बड़ी कहानियाँ लिखी हुई थीं। थीव्स के मिस्त्री मक़बरों की दीवारों की तसवीरें बहुत ही ख़ूबसूरत थीं।

    तुमने मिस्र के थीव्स नामी शहर में महलों और मंदिरों के खंडहरों की तसवीरें देखी थीं। कितनी बड़ी-बड़ी इमारतें और कितने भारीं-भारी खंभे थे। थीव्स के पास ही मेमन की बहुत बड़ी मूर्ति है। ऊपरी मिस्र में कार्नक के पुराने मंदिरों और इमारतों की तसवीरें भी थीं। इन खंडहरों से भी तुम्हें कुछ अंदाज़ा हो सकता है कि मिस्र के पुराने आदमी मेमारी के काम में कितने होशियार थे। अगर उन्हें इंजीनियरी का अच्छा ज्ञान होता तो वे ये मंदिर और महल कभी बना सकते।

    हमने सरसरी तौर पर पीछे लिखी हुई बातों पर एक नज़र डाल ली। इसके बाद के ख़त में हम और आगे चलेंगे।

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