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पिता के पत्र पुत्री के नाम (सभ्यता क्या है?)

pita ke patr putri ke naam (sabhyata kya hai?)

जवाहरलाल नेहरू

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जवाहरलाल नेहरू

पिता के पत्र पुत्री के नाम (सभ्यता क्या है?)

जवाहरलाल नेहरू

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    मैं आज तुम्हें पुराने ज़माने की सभ्यता का कुछ हाल बताता हूँ। लेकिन इसके पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि सभ्यता का अर्थ क्या है। कोष में तो इसका अर्थ लिखा है अच्छा करना, सुधारना, जंगली आदतों की जगह अच्छी आदतें पैदा करना। और इसका व्यवहार किसी समाज या जाति के लिए ही किया जाता है। आदमी की जंगली दशा को, जब वह बिल्कुल जानवरों का सा होता है, बर्बरता कहते हैं। सभ्यता बिल्कुल उसकी उलटी चीज़ है। हम बर्बरता से जितनी ही दूर जाते हैं उतने ही सभ्य होते जाते हैं।

    लेकिन हमें यह कैसे मालूम हो कि कोई आदमी या समाज जंगली है या सभ्य? यूरोप के बहुत से आदमी समझते हैं कि हमीं सभ्य हैं और एशिया वाले जंगली हैं। क्या इसका यह सबब है कि यूरोप वाले एशिया और अफ़्रीका वालों से ज़्यादा कपड़ा पहनते हैं? लेकिन कपड़े तो आव-हवा पर मुनहसिर हैं। ठंडे मुल्क में लोग गर्म मुल्क वालों से ज़्यादा कपड़े पहनते हैं। तो क्या इसका यह सबब है कि जिसके पास बंदूक़ है वह निहत्थे आदमी से ज़्यादा सभ्य हो या हो, कमज़ोर आदमी उससे यह नहीं कह सकता कि आप सभ्य नहीं हैं। कहीं मज़बूत आदमी झल्लाकर उसे गोली मार दे, तो वह बेचारा क्या करेगा?

    तुम्हें मालूम है कि कई साल पहले एक बड़ी लड़ाई हुई थी! दुनिया के बहुत से मुल्क उसमें शरीफ़ थे और हर एक आदमी दूसरी तरफ़ के ज़्यादा से ज़्यादा आदमियों को मार डालने की कोशिश कर रहा था। अँग्रेज़ जर्मनी वालों के ख़ून के प्यासे थे और जर्मन अँग्रेज़ों के ख़ून के। इस लड़ाई में लाखों आदमी मारे गए और हज़ारों के अंग-भंग हो गए—कोई अँधा हो गया, कोई लूला, कोई लँगड़ा। तुमने फ़्रांस और दूसरी जगह भी ऐसे बहुत से लड़ाई के ज़ख़्मी देखे होंगे। पेरिस की सुरंग वाली रेलगाड़ी में, जिसे मेट्रो कहते हैं, उनके लिए ख़ास जगहें हैं। क्या तुम समझती हो कि इस तरह अपने भाइयों को मारना सभ्यता और समझदारी की बात है? दो आदमी गलियों में लड़ने लगते हैं, तो पुलिस वाले उनमें बीच बिचाव कर देते हैं। और लोग समझते हैं कि ये दोनों कितने बेवक़ूफ़ हैं। तो जब दो बड़े-बड़े मुल्क आपस में लड़ने लगें और हज़ारों और लाखों आदमियों को मार डालें तो वह कितनी बड़ी बेवक़ूफ़ी या पागलपन है! यह ठीक वैसा ही है जैसे दो वहशी जंगलों में लड़ रहे हों। और अगर वहशी आदमी जंगली कहे जा सकते हैं तो वह मूर्ख कितने जंगली हैं जो इस तरह लड़ते हैं?

    अगर इस निगाह से तुम इस मामले को देखो, तो तुम फ़ौरन कहोगी कि इंग्लैंड, जर्मनी, फ़्रांस, इटली और बहुत से दूसरे मुल्क जिन्होंने इतनी मार काट की ज़रा भी सभ्य नहीं हैं। और फिर भी तुम जानती हो कि इन मुल्कों में कितनी अच्छी-अच्छी चीज़ें हैं और वहाँ कितने अच्छे-अच्छे आदमी रहते हैं।

    अब तुम कहोगी कि सभ्यता का मतलब समझना आसान नहीं है, और यह ठीक है। यह बहुत ही मुश्किल मामला है। अच्छी-अच्छी इमारतें, अच्छी-अच्छी तस्वीरें और किताबें और तरह-तरह की दूसरी और ख़ूबसूरत चीज़ें ज़रूर सभ्यता की पहचान हैं। मगर एक भला आदमी जो स्वार्थी नहीं है और सब की भलाई के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम करता है सभ्यता की इससे भी बड़ी पहचान है। मिलकर काम करना अकेले काम करने से अच्छा है, और सब की भलाई के लिए एक साथ मिलकर काम करना सबसे अच्छी बात है।

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