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पिता के पत्र पुत्री के नाम (सरग़ना राजा हो गया)

pita ke patr putri ke naam (saraghna raja ho gaya)

जवाहरलाल नेहरू

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पिता के पत्र पुत्री के नाम (सरग़ना राजा हो गया)

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    बूढ़े सरग़ना ने हमारा बहुत सा वक़्त ले लिया। लेकिन हम उससे जल्द ही फ़ुर्सत पा जाएँगे या यों कहो उसका नाम कुछ और हो जाएगा। मैंने तुम्हें यह बतलाने का वादा किया था कि राजा कैसे हुए और वह कौन थे? और राजाओं का हाल समझने के लिए पुराने ज़माने के सरग़नों का ज़िक्र ज़रूरी था। तुमने ताड़ लिया होगा कि यही सरग़ना बाद को राजा और महाराजा बन बैठे। पहले वह अपनी जाति का अगुआ होता था। अँग्रेज़ी में उसे “पैट्रयार्क” कहते हैं। “पैट्रयार्क” लैटिन शब्द “पेटर” से निकला है जिसके माने पिता के हैं। “पैट्रिया” भी इसी लैटिन शब्द से निकला है जिसके माने हैं “पितृभूमि” फ़्रांसीसी में उसे “पात्री” कहते हैं। संस्कृत और हिंदी में हम अपने मुल्क को “मातृभूमि” कहते हैं। तुम्हें कौन पसंद है? जब सरग़ना की जगह मौरूसी हो गई या बाप के बाद बेटे को मिलने लगी तो उसमें और राजा में कोई फ़र्क़ रहा। वही राजा बन बैठा और राजा के दिमाग़ में यह बता समा गई कि मुल्क की सब चीज़ें मेरी ही हैं। उसने अपने को सारा मुल्क समझ लिया। एक मशहूर फ़्रांसीसी बादशाह ने एक मर्तबा कहा था “मैं ही राज हूँ”। राजा भूल गए कि लोगों ने उन्हें सिर्फ़ इसलिए चुना है कि वे इंतज़ाम करें और मुल्क की खाने की चीज़ें और दूसरे सामान आदमियों में बाँट दें। वे यह भी भूल गए कि वे सिर्फ़ इसलिए चुने जाते थे कि वह उस जाति या मुल्क में सब से होशियार और तजुर्बेकर समझे जाते थे। वे समझने लगे कि हम मालिक हैं और मुल्क के सब आदमी हमारे नौकर हैं। असल में वे ही मुल्क के नौकर थे।

    आगे चलकर जब तुम इतिहास पढ़ोगी, तो तुम्हें मालूम होगा कि राजा इतने अभिमानी हो गए कि वे समझने लगे कि प्रजा को उनके चुनाव से कोई वास्ता ही था। वे कहने लगे कि हमें ईश्वर ने राजा बनाया है। इसे वे ईश्वर का दिया हुआ हक कहने लगे। बहुत दिनों तक वे यह बेइंसाफ़ी करते रहे और ख़ूब ऐश के साथ राज के मज़े उड़ाते रहे और उनकी प्रजा भूखों मरती रही। लेकिन आख़िरकार प्रजा इसे बर्दाश्त कर सकी और बाज मुल्कों में उन्होंने राजाओं को मार भगाया। तुम आगे चल कर पढ़ोगी कि इंग्लैंड की प्रजा अपने राजा प्रथम चार्ल्स के ख़िलाफ़ उठ खड़ी हुई थी, उसे हरा दिया और मार डाला। इसी तरह फ़्रांस की प्रजा ने भी एक बड़े हंगामे के बाद यह तय किया कि अब हम किसी को राजा बनाएँगे। तुम्हें याद होगा कि हम फ़्रांस के कौंसियरजेरी क़ैदख़ाने को देखने गए थे। क्या तुम हमारे साथ थीं? इसी क़ैदख़ाने में फ़्रांस का राजा और उसकी रानी मारी आँतांनेत और और लोग रखे गए थे। तुम रूस की राज्यक्रांति का हाल भी पढ़ोगी जब रूस की प्रजा ने कई साल हुए अपने राजा को निकाल बाहर किया जिसे 'ज़ार' कहते थे। इससे मालूम होता है कि राजाओं के बुरे दिन गए और अब बहुत से मुल्कों में राजा हैं ही नहीं। फ़्रांस, जर्मनी, रूस, स्विटज़रलैंड, अमरीका, चीन और बहुत से दूसरे मुल्कों में कोई राजा नहीं है। वहाँ पंचायती राज है जिसका मतलब यह है कि प्रजा समय-समय पर अपने हाकिम और अगुआ चुन लेती है और उनकी जगह मौरूसी नहीं होती।

    तुम्हें मालूम है कि इंग्लैंड में अभी तक राजा है लेकिन उसे कोई इख़्तियार नहीं है। वह कुछ कर ही नहीं सकता। सच इख़्तियार पार्लमेंट के हाथ में है जिसमें प्रजा के चुने हुए अगुआ बैठते हैं। तुम्हें याद होगा कि तुमने लंदन में पार्लमेंट देखी थी।

    हिंदुस्तान में अभी तक बहुत से राजा, महाराजा और नवाब हैं। तुमने उन्हें भड़कीले कपड़े पहने, क़ीमती मोटर गाड़ियों में घूमते, अपने ऊपर बहुत सा रुपया ख़र्च करते देखा होगा। उन्हें यह रुपया कहाँ से मिलता है? यह रिआया पर टैक्स लगा कर वसूल किया जाता है। टैक्स दिए तो इसलिए जाते हैं कि उससे मुल्क के सभी आद‌मियों की मदद की जाए, स्कूल और अस्पताल, पुस्तकालय और अजायबघर खोले जाएँ, अच्छी सड़कें बनाई जाए और प्रजा की भलाई के लिए और बहुत से काम किए जाएँ लेकिन हमारे राजा महाराजा उसी फ़्रांसीसी बादशाह की तरह अब भी यही समझते हैं कि हमीं राज हैं और प्रजा का रुपया अपने ऐश में उड़ाते हैं। वे तो इतनी शान से रहते हैं और उनकी प्रजा जो पसीना बहाकर उन्हें रुपए देती है, भूखों मरती है और उनके बच्चों के पढ़ने के लिए मदरसे भी नहीं होते।

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