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पिता के पत्र पुत्री के नाम (मिस्र और क्रीट)

pita ke patr putri ke naam (misr aur kreet)

जवाहरलाल नेहरू

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पिता के पत्र पुत्री के नाम (मिस्र और क्रीट)

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    पुराने ज़माने के शहरों और गाँवों में किस तरह के लोग रहते थे? उनका कुछ हाल उनके बनाए हुए बड़े-बड़े मकानों और इमारतों से मालूम होता है। कुछ हाल उन पत्थर की तख़्तियों की लिखावट से भी मालूम होता है जो वे छोड़ गए हैं। इसके अलावा कुछ बहुत पुरानी किताबें भी हैं जिनसे उस पुराने ज़माने का बहुत कुछ हाल मालूम हो जाता है।

    मिस्र में अब भी बड़े-बड़े मीनार और स्फिंग्स मौजूद हैं। लक्सर और दूसरी जगहों में बहुत बड़े मंदिरों के खंडहर नज़र आते हैं। तुमने इन्हें देखा नहीं है लेकिन जिस वक़्त हम स्वेज नहर से गुज़र रहे थे, वे हम से बहुत दूर थे। लेकिन तुमने उनकी तसवीरें देखी हैं। शायद तुम्हारे पास उनकी तसवीरों के पोस्टकार्ड मौजूद हों। स्फिंग्स औरत के सिर वाले शेर की मूर्ति को कहते हैं। इसका डीलडौल बहुत बड़ा है। किसी को यह नहीं मालूम कि यह मूर्ति क्यों बनाई गई और उसका क्या मतलब है। उस औरत के चेहरे पर एक अजीब मुर्झाई हुई मुस्कुराहट है। और किसी की समझ में नहीं आता कि वह क्यों मुस्कुरा रही है। किसी आदमी के बारे में यह कहना कि वह स्फिंग्स की तरह है, इसका यह मतलब है कि तुम उसे बिल्कुल नहीं समझते।

    मीनार भी बहुत लंबे चौड़े हैं। दरअसल वे मिस्र के पुराने बादशाहों के मक़बरे हैं जिन्हें फिरऊन कहते थे। तुम्हें याद है कि तुमने लंदन के अजायबघर में मिस्र की ममी देखी थी? ममी किसी आदमी या जानवर की लाश को कहते हैं जिसमें कुछ ऐसे तेल और मसाले लगा दिए गए हों कि वह सड़ सके। फिर ऊनों की लाशों की ममी बना दी जाती थी और तब उन बड़े-बड़े मीनारों में रख दी जाती थीं। लाशों के पास सोने और चाँदी के गहने और सजावट की चीज़ें और खाना रख दिया जाता था। क्योंकि लोग ख़याल करते थे कि शायद मरने के बाद उन्हें इन चीज़ों की ज़रूरत हो। दो तीन साल हुए कुछ लोगों ने इनमें से एक मीनार के अंदर एक फिरऊन की लाश पाई जिसका नाम तूतन खामिन था। उसके पास बहुत सी ख़ूबसूरत और क़ीमती चीज़ें रखी हुई मिलीं।

    उस ज़माने में मिस्र में खेती को सींचने के लिए अच्छी-अच्छी नहरें और झीलें भी बनाई जाती थीं। मेरीडू नाम की झील ख़ासतौर पर मशहूर थी। इससे मालूम होता है कि पुराने ज़माने के मिस्त्र के रहने वाले कितने होशियार थे और उन्होंने कितनी तरक़्क़ी की थी। इन नहरों और झीलों और बड़े-बड़े मीनारों को अच्छे-अच्छे इंजीनियरों ने ही तो बनाया होगा।

    केंडिया या क्रीट एक छोटा सा टापू है जो भूमध्य सागर में है। सईद बंदर से वेनिस जाते वक़्त हम उस टापू के पास से हो कर निकले थे। उस छोटे से टापू में उस पुराने ज़माने में बहुत अच्छी सभ्यता पाई जाती थी। नोसोज में एक बहुत बड़ा महल था और उसके खंडहर अब तक मौजूद हैं। इस महल में ग़ुसलख़ाने थे और पानी की नलें भी थीं जिन्हें नादान लोग नए ज़माने की निकली हुई चीज़ समझते हैं। इसके अलावा वहाँ ख़ूबसूरत मिट्टी के बर्तन, पत्थर की नक़्क़ाशी, तसवीरें और धातु और हाथीदाँत के बारीक काम भी होते थे। इस छोटे से टापू में लोग बड़ी शांति से रहते थे और उन्होंने ख़ूब तरक़्क़ी की थी।

    तुमने मीनास बादशाह का हाल पढ़ा होगा जिसकी निस्बत मशहूर है कि जिस चीज़ को वह छू लेता था वह सोना हो जाती थी। वह खाना खा सकता था क्योंकि खाना-सोना हो जाता था और सोना तो खाने की चीज़ नहीं। उसके लालच की उसे यह सज़ा दी गई थी। यह है तो एक मज़ेदार कहानी लेकिन इससे हमने मालूम होता है कि सोना इतनी अच्छी और कारआमद चीज़ नहीं है जितना लोग ख़याल करते हैं। क्रीट के सब राजा मीनास कहलाते थे और यह कहानी उन्हीं में से किसी राजा की होगी।

    क्रीट की एक और कथा है जो शायद तुमने सुनी हो। वहाँ मैनोटार नाम का एक देव था जो आधा आदमी और आधा बैल था। कहा जाता ही कि जवान आदमी और लड़कियाँ, उसे खाने को दी जाती थीं। मैं तुमसे पहले ही कह चुका हूँ कि मज़हब का ख़याल शुरू में किसी अनजानी चीज़ के डर से पैदा हुआ। लोगों को प्रकृति का कुछ ज्ञान था, उन बातों को समझते थे जो दुनिया में बराबर होती रहती थीं। इसलिए डर के मारे वे बहुत सी बेवक़ूफ़ी की बातें किया करते थे। यह बहुत मुमकिन है कि लड़के और लड़कियों का यह बलिदान किसी असली देव को किया जाता हो बल्कि वह महज ख़याली देव हो क्योंकि मैं समझता हूँ ऐसा देव कभी हुआ ही नहीं।

    उस पुराने ज़माने में सारे संसार में मर्दों, औरतों का फ़र्ज़ी देवताओं के लिए बलिदान किया जाता था। यही उनकी पूजा का ढंग था। मिस्र में लड़कियाँ नील नदी में डाल दी जाती थीं। लोगों का ख़याल था कि इससे पिता नील ख़ुश होंगे।

    बड़ी ख़ुशी की बात है कि अब आदमियों का बलिदान नहीं किया जाता, हाँ, शायद दुनिया के किसी कोने में कभी-कभी हो जाता हो। लेकिन अब भी ईश्वर को ख़ुश करने के लिए जानवरों का बलिदान किया जाता है। किसी की पूजा करने का यह कितना अनोखा ढंग है!

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