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चोला भया पुराना आज

chola bhaya puraana aaj

पलटू

अन्य

अन्य

पलटू

चोला भया पुराना आज

पलटू

चोला भया पुराना आज फटै कि काल॥

आज फटै कि काल तेहु पै है ललचाना।

तीनों पन गे बीत भजन का मरम जाना॥

नख सिख भये सपेद तेहू पै नाहीं चेतै।

जोरि जोरि धन धरै गला औरन का रेतै॥

अब का करिहौ यार काल ने किहा तगादा।

चलै एकौ जोर आय जब पहुँचा वादा॥

पलटू तैहु पै लेत है माया मोह जंजाल।

चोला भया पुराना आज फटै कि काल॥

शरीर पुराना हो गया है। यह आज नष्ट हो या कल। इतने पर भी मनुष्य भोग और सम्मान पाने के लोभ में पड़ा है। बालपन, जवानी और बुढ़ापा तीनों पन बीतकर जर्जरता गई, इतने पर आत्मशोधन की साधना नहीं सीखी। सिर से पैर तक के बाल सफ़ेद हो गए। तब पर भी सावधान नहीं होता है। अपितु दूसरे का गला काट-काट कर धन जोड़कर जमा करता है। हे मित्र! अब क्या उपाय करोगे? काल ने चलने की नोटिस दे दी हैं। जब मौत का वारंट जाएगा तब बचने का तुम्हारा एक भी बल नहीं चलेगा। पलटू साहेब कहते हैं कि इतने पर भी मनुष्य माया-मोह के जंजाल को अपने ऊपर ओढ़े रहता है। सावधान! शरीर पुराना हो गया है। यह आजकल में नष्ट हो जाएगा।

स्रोत :
  • पुस्तक : पलटू साहेब की बानी (पृष्ठ 42)
  • संपादक : अभिलाषा दास
  • रचनाकार : पलटू
  • प्रकाशन : कबीर आश्रम, कबीर नगर, इलाहाबाद
  • संस्करण : 2012

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