अंत जु आए जगत् में

ant ju aaye jagat mein

सहजोबाई

सहजोबाई

अंत जु आए जगत् में

सहजोबाई

अंत जु आए जगत् में, हरि सुमिरण के काज।

ह्यां कछु कीया और ही, नेक आई लाज॥

नेकन आई लाज, साज सब खोटे कीन्हे।

सदा रहे अज्ञान, रामघट में नहिं चीन्हे॥

जैहौ जन्म गँवाइके, पछितावा रहि जाय।

चरणदास कहे सहिजिया, कहा कियो तनु पाय॥

इस संसार में मनुष्य का अंतिम लक्ष्य नाम सुमिरन है। उसे मनुष्य देह इसीलिए मिली है। लेकिन तुम यहाँ आकर कुछ और ही करने लगे अर्थात संसार के मायाजाल में फंसकर व्यर्थ के कामों में उलझ गए, ऐसा करते तुम्हें लाज नहीं आई? अज्ञान बने रहे और खोटे काम किए। परमात्मा की भक्ति नहीं की। चरणदास सहजो से कहते हैं कि मनुष्य जन्म पाया भी और गंवाया भी, और अंत में अगर पछतावा रह जाए तो मानव देह पाकर क्या किया!

स्रोत :
  • पुस्तक : सहजप्रकाश (पृष्ठ 84)
  • रचनाकार : सहजोबाई
  • प्रकाशन : श्रीवेंकटेश्वर स्टीम् प्रेस, बंबई
  • संस्करण : 1922
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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