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बाँधे हैं सुभट अमलन के ये माथे मौर

bandhe hain subhat amalan ke ye mathe maur

बोधा

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बोधा

बाँधे हैं सुभट अमलन के ये माथे मौर

बोधा

और अधिकबोधा

    बाँधे हैं सुभट अमलन के ये माथे मौर,

    भ्रमर समूह मिलि मारू राग गायो रे।

    कोकिल नकीब नये पत्रन पताक तंबू,

    चंद्रिका निहारि क्षिति मंडल में छायो रे।

    ‘बोधा' कबि पवन दमामो दीह घहरात,

    सुमन सुगंध सोई जस बगरायो रे।

    बिरही समाज बधिबे के काज लाज त्यागि,

    साजि ऋतुराज रतिराज पठवायो रे॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : रीतिमुक्त कवि : नया परिदृश्य (पृष्ठ 162)
    • संपादक : रामफेर त्रिपाठी
    • रचनाकार : बोधा
    • प्रकाशन : मधु प्रकाशन, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1982

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