Font by Mehr Nastaliq Web

बड़ेन सों जान पहिचान कै रहीम काह

baDen son jaan pahichan kai rahim kah

रहीम

अन्य

अन्य

रहीम

बड़ेन सों जान पहिचान कै रहीम काह

रहीम

और अधिकरहीम

    बड़ेन सों जान पहिचान कै रहीम काह,

    जोपै करतार ही सुख देनहार है।

    सीत-हर सूरज सों प्रीति कियो पंकज ने,

    तऊ कंज-बनन को जारत तुषार है॥

    छीर-निधि बीच धँस्यो संकर के सीस बस्यो,

    तऊना कलंक नस्यो ससि मैं सदा रहै।

    बड़े रीझवार हैं, चकोर दरबार हैं,

    कलानिधि के यार तऊ चाखत अँगार है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : रहीम-कवितावली (पृष्ठ 63)
    • संपादक : सुरेंद्र तिवारी
    • रचनाकार : रहीम
    • प्रकाशन : नवलकिशोर प्रेस, लखनऊ
    • संस्करण : 1926

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए