Font by Mehr Nastaliq Web

यह कैसा समय

ye kaisa samay

चंद्रेश्वर

अन्य

अन्य

चंद्रेश्वर

यह कैसा समय

चंद्रेश्वर

और अधिकचंद्रेश्वर

    यह कैसा समय है यारों

    तेज़ी से मिटता जा रहा है फ़र्क़

    असली-नकली का

    खोटे सिक्कों से पटा पड़ा है बाज़ार

    छल भरी मुद्राओं और मुहावरों से

    ढकी पड़ी है भाषा

    यह कैसा समय है कवियों

    कविता में दिखते हैं सिर्फ़

    शब्द ही शब्द

    बिंबों और प्रतीकों के बीच

    ग़ायब है अर्थ

    यह कैसा समय है विचारकों

    जब सबसे ज़्यादा फ़ालतू माना जाने लगा है

    विचार

    यह कैसा समय है नेताओं

    देश की संसद में मिट रहा फ़र्क़

    पक्ष-विपक्ष में

    सबकी ज़ुबान पर है

    तराशी हुई एक चमकदार भाषा

    यह कैसा समय है नागरिकों

    आज़ादी की बासठवीं सालगिरह पर

    संसद के भीतर चल रहे

    विशेष सत्र में

    देश का एक खूँखार नेता

    सबसे ज़्यादा करता है इस्तेमाल

    लोकतंत्र के मुहावरों का

    अपनी भाषा में!

    स्रोत :
    • रचनाकार : चंद्रेश्वर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए