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ललित कला संग्रहालय में

lalit kala sangrhalay mein

डबल्यू. एच. ऑडेन

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ललित कला संग्रहालय में

डबल्यू. एच. ऑडेन

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    पीड़ा के बारे में उन्हें कोई भ्रम नहीं था

    पुराने आचार्यों को : कितनी अच्छी तरह वे समझते थे

    उसकी मानवीय स्थिति : कैसे वह किसी एक में केंद्रित

    घटित होती है जब कि अन्य उससे निरपेक्ष खाते हैं, पीते हैं,

    खिड़की खोलते हैं या मात्र अनमने टहलते रहते हैं;

    कैसे, जब घर के बड़े-बूढ़े, बहुत भावाकुल होकर

    प्रतीक्षा करते हैं, शिशुप्रसव की,

    बच्चे हैं जो उसके प्रति उदासीन होते हैं, चाहते ही नहीं

    कि यह हो

    और वनांत पर पोखरे के किनारे बर्फ़ पर फिसलते रहते हैं :

    वे (आचार्य) कभी नही भूलते थे

    कि मानव के महानतम बलिदानों को भी

    एक उपेक्षित अँधेरे कोने में घटित होना पड़ता है

    किसी गंदी जगह जहाँ कुत्ते क्रीड़ा करते रहते हैं और

    किसी निरंकुश अत्याचारी का घोड़ा

    पेड़ के तने से अपनी पीठ खुजाता रहता है।

    ब्रूगेल के 'इकारस' में उदाहरणार्थ : कैसे बाक़ी तमाम चीज़ें

    चरम संकट से मुँह मोड़ती दीखती हैं; हल चलाने वाले ने

    समुद्र में उसका छपाका सुना होगा

    किंतु उसके लिए उस अभियान की असफलता की भी

    कोई ख़ास अहमियत नहीं; धूप पड़ रही है

    —जैसे हर चीज़ पर—वैसे ही हरे समुद्र में अधडूबे गोरे

    पावों पर

    और वह मूल्यवान सुंदर जहाज़ जिसने उस दिन वह

    अद्भुत घटना देखी होगी—एक पंख-भस्म लड़के को

    आस्मानों में से गिरते हुए—

    उसे कहीं कहीं जाना था—और

    वह बिना विचलित हुए चुपचाप अपनी राह चला गया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 118)
    • संपादक : धर्मवीर भारती
    • रचनाकार : डबल्यू. एच. ऑडेन
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
    • संस्करण : 1960
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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