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वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-16

wartikal poetri ha last poemz 16

रोबेर्तो ख्वार्रोस

अन्य

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रोबेर्तो ख्वार्रोस

वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-16

रोबेर्तो ख्वार्रोस

उसने हर दिशा में खिड़कियाँ बनाईं।

बहुत ऊँची दीवारों पर,

बहुत नीचे की दीवारों पर,

भुरभुरी दीवारों पर, कोनों पर

उसने हवा पर खिड़कियाँ बनाईं और छत पर भी खिड़कियाँ बनाईं।

उसने खिड़कियाँ ऐसे बनाईं जैसे कोई पंछियों का चित्र बनाता है।

फ़र्श पर, रातों पर,

उसने उस नज़र पर खिड़कियाँ बनाईं जो देखकर भी नहीं देखती और सुनकर भी नहीं सुनती।

उसने मृत्यु की फिरनी पर खिड़कियाँ बनाईं,

क़ब्रों पर बनाईं,

पेड़ों पर बनाईं।

उसने दरवाज़ों पर भी खिड़कियाँ बनाईं।

पर दरवाज़ा कभी नहीं बनाया।

वह तो अंदर घुसना चाहता था और बाहर निकलना चाहता था।

वह जानता था कि यह काम कोई नहीं कर सकता।

वह सिर्फ़ देखना चाहता था : सिर्फ़ देखना।

उसने हर दिशा में खिड़कियाँ बनाईं।

हर जगह खिड़कियाँ बनाईं।

स्रोत :
  • संपादक : अविनाश मिश्र
  • रचनाकार : रोबेर्तो ख्वार्रोस
  • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका, अंक-21

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