वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-17
wartikal poetri ha last poemz 17
रोबेर्तो ख्वार्रोस
Roberto Juarroz

वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-17
wartikal poetri ha last poemz 17
Roberto Juarroz
रोबेर्तो ख्वार्रोस
और अधिकरोबेर्तो ख्वार्रोस
अपनी कमज़ोरी के कारण मैं बचा रहता हूँ।
अपनी कमज़ोरी के कारण बचा रहता हूँ,
और उन लोगों की कमज़ोरी के कारण बचा रहता हूँ,
जो टूटे हुए पंछियों की तरह भटकते रहते हैं
संसार के गिनती के दिनों में बचा रहता हूँ
जो संसार गिनती करना नहीं जानता।
मेरे लिखने में जो छूट जाता है
वही मेरे लेखन को खोल देता है
और लिखत को ऐसे सहारे की तरफ़ ले जाता है
जो उस सहारे से ज़्यादा भरोसेमंद है
जिस सहारे का मैं इस्तेमाल करता हूँ।
किसी चीज़ को सोचने की नज़ाकत
मेरी सोच में उड़ान भर देती है
और इसे दूसरे उठान तक ले जाती है
जहाँ सोच को तुम्हारे पंख मिल जाते हैं।
सिर्फ़ पहले से टूटी हुई शाखाएँ
खो चुके प्रेम को एकत्र करती हैं
और इन शाखाओं पर उस प्रेम के टुकड़े चिपक जाते हैं
और फिर से पेड़ को बना लेते हैं।
- संपादक : अविनाश मिश्र
- रचनाकार : रोबेर्तो ख्वार्रोस
- प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका, अंक-21
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