वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-17

wartikal poetri ha last poemz 17

रोबेर्तो ख्वार्रोस

रोबेर्तो ख्वार्रोस

वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-17

रोबेर्तो ख्वार्रोस

और अधिकरोबेर्तो ख्वार्रोस

    अपनी कमज़ोरी के कारण मैं बचा रहता हूँ।

    अपनी कमज़ोरी के कारण बचा रहता हूँ,

    और उन लोगों की कमज़ोरी के कारण बचा रहता हूँ,

    जो टूटे हुए पंछियों की तरह भटकते रहते हैं

    संसार के गिनती के दिनों में बचा रहता हूँ

    जो संसार गिनती करना नहीं जानता।

    मेरे लिखने में जो छूट जाता है

    वही मेरे लेखन को खोल देता है

    और लिखत को ऐसे सहारे की तरफ़ ले जाता है

    जो उस सहारे से ज़्यादा भरोसेमंद है

    जिस सहारे का मैं इस्तेमाल करता हूँ।

    किसी चीज़ को सोचने की नज़ाकत

    मेरी सोच में उड़ान भर देती है

    और इसे दूसरे उठान तक ले जाती है

    जहाँ सोच को तुम्हारे पंख मिल जाते हैं।

    सिर्फ़ पहले से टूटी हुई शाखाएँ

    खो चुके प्रेम को एकत्र करती हैं

    और इन शाखाओं पर उस प्रेम के टुकड़े चिपक जाते हैं

    और फिर से पेड़ को बना लेते हैं।

    स्रोत :
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : रोबेर्तो ख्वार्रोस
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका, अंक-21
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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