वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-13
wartikal poetri ha last poemz 13
रोबेर्तो ख्वार्रोस
Roberto Juarroz

वर्टिकल पोएट्री : लास्ट पोएम्ज़-13
wartikal poetri ha last poemz 13
Roberto Juarroz
रोबेर्तो ख्वार्रोस
और अधिकरोबेर्तो ख्वार्रोस
एक शून्य से दूसरे शून्य तक।
इस तरह हमने जीवन जिया है।
जब हवा के आँचल का बीच वाला हिस्सा हमें स्पर्श करता है
उस स्थिति में साँस लेना और सीधे खड़े रहना आसान होता है,
अनचाहे ही हम शून्य के लिए तरसे हैं।
उस शून्य के लिए जिसने अपनी शून्यता से हमारा पोषण किया है।
एक स्तोत्र
हमारे अस्तित्व की गहराई से
ऊपर की ओर देखकर विनय करता है
कि जब मृत्यु आए
तो अपना रास्ता न बदले
और हर चीज़ शून्य हो जाए
शायद उस शून्य में हमारे पंख उग आएँगे।
एक शून्य के भीतर एक और शून्य होता है।
इन दो शून्यों में अगर कोई भेद न हो तो इनमें दूरी होती है
हमें सिर्फ़ यह पता करने की ज़रूरत है
और इतने सामर्थ्य की ज़रूरत है
कि उस अंदरूनी शून्य से हम वह दूरी बना सकें।
- संपादक : अविनाश मिश्र
- रचनाकार : रोबेर्तो ख्वार्रोस
- प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका, अंक-21
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