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बच्चों के लिए चिट्ठी

bachchon ke liye chitthi

मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल

बच्चों के लिए चिट्ठी

मंगलेश डबराल

प्यारे बच्चों हम तुम्हारे काम नहीं सके। तुम चाहते थे हमारा क़ीमती समय तुम्हारे खेलों में व्यतीत हो। तुम चाहते थे हम तुम्हें अपने खेलों में शरीक करें। तुम चाहते थे हम तुम्हारी तरह मासूम हो जाएँ।

प्यारे बच्चों हमने ही तुम्हें बताया था जीवन एक युद्धस्थल है जहाँ लड़ते ही रहना होता है। हम ही थे जिन्होंने हथियार पैने किए। हमने ही छेड़ा युद्ध। हम ही थे जो क्रोध और घृणा से बौखलाते थे। प्यारे बच्चों हमने तुमसे झूठ कहा था।

यह एक लंबी रात है। एक सुरंग की तरह। यहाँ से हम देख सकते हैं बाहर का एक अस्पष्ट दृश्य। हम देखते हैं मारकाट और विलाप। बच्चों हमने ही तुम्हें वहाँ भेजा था। हमें माफ़ कर दो। हमने झूठ कहा था कि जीवन एक युद्धस्थल है।

प्यारे बच्चों जीवन एक उत्सव है जिसमें तुम हँसी की तरह फैले हो। जीवन एक हरा पेड़ है जिस पर तुम चिड़ियों की तरह फड़फड़ाते हो।

जैसा कि कुछ कवियों ने कहा है जीवन एक उछलती गेंद है और तुम उसके चारों ओर एकत्र चंचल पैरों की तरह हो।

प्यारे बच्चों अगर ऐसा नहीं है तो होना चाहिए।

स्रोत :
  • रचनाकार : मंगलेश डबराल
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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