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वैसे मैं कहना यह चाहता हूँ

waise main kahna ye chahta hoon

कमल जीत चौधरी

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कमल जीत चौधरी

वैसे मैं कहना यह चाहता हूँ

कमल जीत चौधरी

और अधिककमल जीत चौधरी

    कविता आधार कार्ड नहीं है

    इसे हैक नहीं किया जा सकता

    यह कड़वे तेल की घानी है

    यह मुर्दों की मालिश नहीं करती

    साथ बैठकर चाय पीती है

    पर सेल्फ़ी नहीं है

    नौकरी करनी ही पड़ जाए

    तो त्यागपत्र जेब में रखती है

    अकादमिक कॉन्फ़्रेंस में

    यह तीन घंटा नींद लेती है

    गरने वाले इलाक़े में

    यह चप्पल गाँठता काँटा है

    यह सवर्णों चाची है

    दूर तक भैंस के पीछे दौड़ सकती है

    पंजों से इसका गहरा रिश्ता है

    यह गारे की चिनाई है

    यह अंदर हाथ रखकर

    बाहर से हमें पाथती है

    यह भाषा की पड़ोसन है

    अनुवाद इसका प्रेमी कभी नहीं हो सकता

    बिना किसी पगड़ी के

    यह न्याय के हक़ में खड़ी होती है

    ...

    वैसे मैं कहना यह चाहता हूँ

    कविताएँ संचित करने के लिए नहीं होतीं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कमल जीत चौधरी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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