रेगिस्तान से गुज़रती एक रेलगाड़ी

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अशरफ़ अबूल-याज़िद

अशरफ़ अबूल-याज़िद

रेगिस्तान से गुज़रती एक रेलगाड़ी

अशरफ़ अबूल-याज़िद

और अधिकअशरफ़ अबूल-याज़िद


     
    ये गाँव एक रेलगाड़ी जैसे दिखते हैं
    जो वातानुकूलित ताबूतों को
    एक पूँछ की तरह खींचकर ले जा रही है
     
    वे दिखते हैं एक औरत जैसे
    जिसकी धूल सनी छाती सूरज से जल गई है
    जिसके शरीर को सूखे बग़ीचों से पोत दिया गया है
     
    एक रेल जो रोती है
    हर दो स्टेशनों के बीच
    जहाँ पैदल चलने के रास्ते
    मृगतृष्णा और छल से बने हैं
     
    इसके पेट में हम संघर्ष करते हैं
    अपने नक़ली अंगों को सुंदर बनाने के लिए
    अपनी हार से लड़ते हैं
     
    जो कुछ भी बचा है
    हमारी डरी हुई देहों में
    मनमुटाव के ड्रैगन हमारे थैलों में
    उस पर पेशाब कर रहे हैं
     
    हम उन मुल्कों का अपमान कर रहे हैं
    और एक हज़ार एक
    तौलियों में थूक रहे हैं
     
    लेकिन,
    हम इस रेल को छोड़ नहीं रहे
    जबकि हम इसे रोक सकते हैं।
     
    स्रोत :
    • रचनाकार : अशरफ़ अबूल-याज़िद
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए अनुवादक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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