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वे स्त्रियाँ

ve striyan

मेधा झा

अन्य

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मेधा झा

वे स्त्रियाँ

मेधा झा

और अधिकमेधा झा

    नहीं, वह नहीं हैं आदर्श

    तुम्हारे समाज के लिए

    वह है आत्मविश्वास से भरी

    अपने बल पर खिलखिलाती स्त्रियाँ।

    निकल पड़ती है वह प्रत्येक दिन

    अपने कार्यालय की तरफ़

    और करती हैं प्रबंधन स्वयं

    दिनचर्या के ख़र्चों का।

    उसके ख़र्चों में शामिल है

    छोटी-बड़ी तमाम ज़िम्मेदारियाँ

    साथ ही एक हिस्सा सुरक्षित है

    उसके शौक और यात्रा के लिए। 

    ज़िम्मेदारी-संघर्ष को झेलते हुए

    आती है इनमें अदम्य दृढ़ता

    जो निकाल बाहर करती हैं उन्हें

    तुम्हारे सहानभूति के घेरे से।

    ठोकर मारती हैं वे,

    तुम्हारे दिए गए सहूलियतों को

    और करती हैं जम कर मेहनत

    अपने सपनों के लिए।

    आत्मविश्वास से भरी ये स्त्रियाँ

    जीती हैं जीवन अपने दम पर।

    करती हैं पूरी अपने आकाँक्षा को

    मर मिटती हैं अपने उसूलों पर।

    नहीं हैं ये तुम्हारी आदर्श

    लेकिन पूछना ख़ुद से

    क्या तुम नहीं चाहते बनाना 

    अपनी बेटी को इनके जैसा?

    स्रोत :
    • रचनाकार : मेधा झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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