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वक़्त आ गया है

vaqt aa gaya hai

अनुवाद : जितेंद्र कुमार

डेनिस ब्रूटस

अन्य

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डेनिस ब्रूटस

वक़्त आ गया है

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    वक़्त गया है कि अब मैं कुछ कहूँ

    मेरी इस हिसाबी चुप्पी को तोड़ने का

    अब वक़्त गया है

    मौजूदा मित्रों को जिसकी चोट से मैं बचाए हूँ।

    मैं उनकी वजह से इंतहा शर्मिंदा हूँ

    जो चाल में हल्की-सी जुम्बिश ला

    जो उनकी हिचक का हिसाब दे देती

    मेरी बग़ल से चुपचाप गुज़र जाते हैं

    मैं तब बहुत स्वस्थ महसूस करता हूँ

    जब मेरा हृदय ग़ुस्से, चोट या वितृष्णा से

    भर नहीं उठता

    जब कोई मेरी पहचान से भी अनजान बन

    चुपके से मेरी बग़ल से गुज़र जाता है

    और वे जो आत्मरक्षा के पता नहीं

    किस घोंसले को सीने से चिपटाए हैं ऐसे

    कि पारंपरिक बधाई का एक शब्द भी

    लिख नहीं पाते

    मेरी ओर वे अपना केवल वही पक्ष करते हैं

    जो विस्मृति की सीमा तक ठंडा हो चुका है

    यदि कछ लोग क़ानून के कठोर नियम से,

    विधान की अनिश्चितता की वजह से

    दूर रहना चाहते हैं तो समझ में आने वाली बात है

    पर वे

    जो फँस जाने के भय से अपने भीतर

    सिकुड़ जाते हैं—वे…

    स्रोत :
    • पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 271)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : डेनिस ब्रूटस
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1989

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