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उसके लिए जिसका मैं भी हत्यारा हूँ

uske liye jiska main bhi hatyara hoon

आसित आदित्य

अन्य

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आसित आदित्य

उसके लिए जिसका मैं भी हत्यारा हूँ

आसित आदित्य

और अधिकआसित आदित्य

    लोगों का आना उनके जाने की प्रथम कड़ी है―

    तुम लोगों में से एक थी।

    तुम मेरे जीवन के रंगमंच पर खेली गई

    ईश्वर द्वारा निर्देशित उस नाटक की अभिनेत्री थी

    जिसकी समाप्ति पर मैंने इसलिए ताली नहीं बजाई

    क्योंकि मेरे हाथ व्यस्त थें पोछने में आँसू तुम्हारे।

    कितना अच्छा होता यदि जाना वास्तव में चले जाना होता।

    लोग चले जाते हैं

    पीछे छोड़कर घर के बरामदे में टँगी अपनी एक तस्वीर

    पर कहाँ जा पाते हैं भला!

    तुम आती रहोगी

    किसी ठंडी सुबह जब मैं काटूँगा नाख़ून तुम्हारे,

    किसी साँझ जब तुम्हारे लिए करूँगा गीता का पाठ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : आसित आदित्य
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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