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तीन प्रेम सूक्त

teen prem sookt

ज़ुबैर सैफ़ी

अन्य

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ज़ुबैर सैफ़ी

तीन प्रेम सूक्त

ज़ुबैर सैफ़ी

और अधिकज़ुबैर सैफ़ी

     

    एक

    मुझ पर प्रेम यूँ उतरा कि
    जैसे कोई आसमानी किताब उतरती है
    न पढ़ सकनेवाला भी पढ़ने लग जाता है

    मुझ पर प्रेम उतरा तो
    मैं सीख गया सब पढ़ना
    मैंने होंठों के सहीफ़े पढ़े
    सीने के श्वेत श्लोक पढ़े
    नाभि के पुराणों को बाँचा
    मैं साक्षर हुआ

    प्रेम में निरक्षर होना साक्षर हो जाना है।

    दो

    प्रेम उतरा तो यूँ उतरा
    जैसे उतरता है कोई देवदूत
    पंख हिलाते हुए कोमलता से

    प्रेम की ईशवाणियों में भार नहीं होता।

    तीन

    दुनिया रची गई,
    ब्रह्मा के चार हिस्सों से चार वर्ग उगे,
    मेरे प्रेम का ब्रह्मा जब समय ने बाँटा तो,
    मैं क्षत्रिय के रूप में ढला,
    मुझे उसके सीने के तिल से प्रेम था,
    हालाँकि लोगों ने आशा की
    कि मैं अपने प्रेम में
    शूद्र रहा होऊँगा!

    स्रोत :
    • रचनाकार : ज़ुबैर सैफ़ी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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