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ग्रीष्म का योद्धा

greeshm ka yoddha

अनुवाद : बीना क्षत्रिय

मनप्रसाद सुब्बा

अन्य

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मनप्रसाद सुब्बा

ग्रीष्म का योद्धा

मनप्रसाद सुब्बा

और अधिकमनप्रसाद सुब्बा

    1. आक्रमण के लिए फिर प्रस्तुत है गर्मी

    जब आप लोग शीतल पब-हाऊस में प्रवेश करते हैं

    या तो एयर कंडीशनर बंकर में छिपते हैं

    उस वक़्त

    इस धरती के अति प्राचीन

    पर अपरिचित पुरुष महिलाएँ

    चुपचाप युद्ध लड़ रहे होते हैं।

    गर्मी की झुलसाने वाली नात्सीवाद से

    सीढ़ीनुमा खेत-बग़ीचे में

    और वे कहीं पहुँचने वाली सड़कों पर।

    पिरामिड युग के पहले से

    लड़ रहे हैं वे

    कभी समाप्त होने वाला वह युद्ध

    अपने ही पेट की गुफाओं से निकलने वाले भूखा सिंह के साथ।

    2. आक्रमण के लिए फिर प्रस्तुत है गर्मी

    जब आप लोग इस आक्रमण की आग से बचने के लिए

    शीतल पहाड़ी शहर की ओर बढ़ते हैं

    उस वक़्त

    इतिहास में एक अक्षर मिलने पर

    चिर-परिचित पुरूष महिलाएँ

    चुपचाप उतर रहे होते हैं

    अपने शरीर की ढलान से

    पसीने के साथ/ समय के बालू भरे मैदान में

    और नीचे सब-वे मेट्रो में।

    अक्षरों से भी युगों पहले से ही

    उतर चुके हैं वे

    अपनी हथेली से

    और अपनी आँखों की डिल से।

    (डिल : आँख की निचली पलक का मांसल हिस्सा।)

    स्रोत :
    • पुस्तक : ऋतु कैनवास पर रेखाएँ (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : मनप्रसाद सुब्बा
    • प्रकाशन : नीरज बुक सेंटर
    • संस्करण : 2013

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