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सारे दरवाज़े खुले हैं

sare darwaze khule hain

नंद चतुर्वेदी

अन्य

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नंद चतुर्वेदी

सारे दरवाज़े खुले हैं

नंद चतुर्वेदी

और अधिकनंद चतुर्वेदी

    तुम ज़िंदगी को उस मोड़ पर तो

    ला ही सकते हो

    जहाँ एक उजाले की रेखा खिंची है

    अगर तुम बिको नहीं

    सस्ते चमक-दमक वाले माल की तरह

    पश्चाताप के लिए

    सारे दरवाज़े खुले हैं

    छोटा और लाचार बनना आसान है

    बहुत बड़ी सफलता भी मिले तुम्हें

    बना सको मन-पसंद दुनिया

    तब भी तुम यह तो कर ही सकते हो

    नीले और अकुंचित आसमान को

    एक बार देख लो

    विजेता के नक़्क़ाशीदार जूतों की सिलाई

    और दरबारियों के हुजूम का रंग

    एक-सा लगने लगे

    तब तुम उन शरीफ़ज़ादों के गंभीर शब्द

    और फूहड़ पुस्तकों को

    कबाड़ख़ाने में तो डाल ही सकते हो

    जो इस्तेमाल की हुई चीज़ों का क़ब्रिस्तान है

    यह देश एक मिथक है

    उछलते हुए कंचन-मृग

    और लालची लगड़बघ्घों की दोस्ती का

    तुम इस ऐय्याश वक़्त के नाटक को

    एक लापरवाह आदमी की तरह

    देखते हुए गुज़र सकते हो

    बिना फिसले और एक खिलाड़ी की तरह

    स्रोत :
    • रचनाकार : नंद चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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