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आदि अस्तित्व

aadi astitw

बलजीत कौर

अन्य

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बलजीत कौर

आदि अस्तित्व

बलजीत कौर

और अधिकबलजीत कौर

    आदि सौंदर्य की थिरकन का

    स्वच्छ सहज एक सुर हूँ मैं

    किसी स्थिर शब्द का

    मेरा किनारा नहीं बंद अर्थ

    मूक स्वर की

    सूक्ष्मता में से

    ख़ामोशी के साथ गुज़रो

    उस ख़ामोशी की

    रूपहीन याद का स्मरण करो।

    अनंत आभा की किरण का

    तरल, बहता-सा एक रंग हूँ मैं

    कोई रंगदार शीशा

    मेरे प्रतिबिंब, रूप नहीं

    अनाम रंग की

    निरपेक्षता को

    बेलाग स्पर्श करो

    और उसी बेलाग भाव का

    निस्संग अहसास सीने में समा लो।

    महाचक्षु दृष्टि का

    सूक्ष्म लहराता प्रलय हूँ मैं

    मेरा यह नूरानी अस्तित्व

    किसी रूप, किसी रेखा का विस्तार नहीं

    मेरे भीतर सुलगती

    अरूपता को

    देखने की तरलता के साथ शिद्दत से

    उस निर्गुण की

    सदृश्य नज़र के लिए डूबो।

    अंतहीन ऊँचाइयों का

    असीम-सा विस्तार हूँ मैं

    किसी भी सीमित दृष्टि के

    वृत्त का दृश्य नहीं

    मेरे अदृश्य विस्तार को

    अनंतता के लिए

    सीमाहीन होकर विचारो

    फिर उस असीमता से

    अर्पित करो स्मरणीय की प्रत्येक सीमा को।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 569)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

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