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नग्नगीत

nagngit

अनुवाद : वै. वेंकटरमण राव

श्रीरंगम् नारायण बाबू

अन्य

अन्य

और अधिकश्रीरंगम् नारायण बाबू

    एक नए शरीर में

    रक्त-गाए गीत की

    नग्नता

    नंदन वन-सी

    खिल उठी!

    यह

    नैतिकता पर

    ज़ोर देने वाली

    बुद्धि के लिए नहीं

    बल्कि

    नयनों को भर देने वाले

    सौंदर्य पर मचलते

    हृदयों के लिए—

    नज़रों से पीजिए!

    यह क्या है?

    पके फलों का स्वाद जान कर भी

    कच्चे फल गिराती

    भागती-दौड़ती मस्त गिलहरी की मनमानी!

    वह कौन?

    कोई कीचक क़ैद करता है

    मेरी गीत-सैरंध्री को

    देखकर चुप रह जाता है

    मेरा रक्त युधिष्ठिर!

    प्रेम—

    धौंकनी है स्त्री-पुरुष की

    काम-ज्वाला में—

    प्रेम!

    दर्पण है मेरा हृदय

    मेरी अनुभूति

    होती है अंकित उसमें

    और

    मेरा खौलता रक्त

    जब हाँ कहता है

    तब उभरा धुँधला

    मालिन्य है—

    मेरा गीत!

    पता नहीं क्यों?

    धूप और वर्षा

    पति-पत्नी का

    झगड़ा है यदि

    लड़ाई के लिए तैयार

    तो हँसते हैं

    शाखा और फूल

    खिलखिला कर

    गरजता है यह पर्जन्य

    क्यों मेरे ऊपर?

    सारा जग

    यदि आँख हो

    अंधकार हो काजल

    तो दृष्टि है

    मेरा गीत!

    इस संसार वैतरणी को

    पार करने

    तुम्हारे और मेरे लिए

    किया गया गऊदान है—

    मेरा गीत!

    स्रोत :
    • पुस्तक : शब्द से शताब्दी तक (पृष्ठ 1)
    • रचनाकार : श्रीरंगम् नारायण बाबू
    • प्रकाशन : आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी
    • संस्करण : 1985

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