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सोने से ठीक पहले

sone se theek pahle

जतिन एंड विंग्स

अन्य

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जतिन एंड विंग्स

सोने से ठीक पहले

जतिन एंड विंग्स

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    क्या कर रहे हो?

    हर रात की तरह

    सोने से पहले लगता है

    फिर वही सोच रहे हो

    रोज़ उसी बात को सोचकर

    उससे लड़कर सो जाते हो

    कहीं ये आदत तो नहीं बन चुकी?

    शायद वो ख़्वाहिश

    कई रातों पहले ही पूरी हो चुकी थी

    तुम लालच तो नहीं कर बैठे?

    वो तो सोने नहीं देगी

    बहुत ज़ालिम है वो।

    अच्छा मैं अगर कहूँ

    मैं तुम्हें सब सवालों से मुक्त कर सकता हूँ

    उस गुप्त दरवाज़े का रास्ता भी

    बता सकता हूँ

    पर तुम तो लुप्त हो

    उसी आदत में,

    रोज़ वही सोचकर सो जाने में।

    सब सही कभी नहीं होगा

    थक गए होगे!

    थोड़ा रुक जाओ, साँस तो लो

    पूरा होने की चाहत में

    अधूरे तक भी ना पहुँच पाए

    क्या पता

    अधूरा होना ही जीवन की नियति हो!

    ये कैसी नियति?

    मुझे तो कुछ और बताया गया था।

    ठीक है, जिसने बताया उनसे पूछो

    कि पूरे की परिभाषा क्या है

    और आधे की व्यथा क्या है

    हर चीज़ के भाग तुमने किए

    साल को महीनों में

    महीनों को दिनों में

    फिर दिन से पहरों, घंटों में।

    हो सकता है

    आधा और पूरा कुछ हो ही नहीं।

    शायद!

    सोते हुए ही जीवित हो

    जागे हुए तो सब सिर्फ़ एक मूरत हो।

    स्रोत :
    • रचनाकार : जतिन एंड विंग्स
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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