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पुराना आदमी

purana adami

वसु गंधर्व

अन्य

अन्य

वसु गंधर्व

पुराना आदमी

वसु गंधर्व

और अधिकवसु गंधर्व

    अकेली दीवारों जैसे

    हाथों में जमती काई

    बंद आँखों पर जमी होती गर्द

    टूट कर इधर-उधर बिखरे होते पलस्तर

    और बरसात में

    भीतर टप-टप गिरता रहता सीलन का पानी

    हर रात

    उसके अंदर

    कोई भी जा सकता था

    सुन सकता था

    अपनी ही आवाज़ गूँजकर आती

    बंद कमरों से

    भीतर से खोखली थीं दीवारें

    निरर्थक था स्मृतियों का चिट्ठा

    अब बस देखना था

    कि वह कब ढहेगा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : वसु गंधर्व
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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