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तुम्हारे आलिंगन में

tumhare alingan mein

अपूर्वा श्रीवास्तव

अन्य

अन्य

अपूर्वा श्रीवास्तव

तुम्हारे आलिंगन में

अपूर्वा श्रीवास्तव

और अधिकअपूर्वा श्रीवास्तव

    जब तुम मुझे गले लगाते हो

    उस भयानक दृश्य को अनदेखा कर

    जहाँ चढ़ी भौहें और तरेरती आँखों से

    हमें निगल जाने के लिए तैयार बैठा हो

    सभ्य समाज

    तब जब दी जा चुकी हो मुझे

    अनगिनत उपाधियाँ—

    बेशर्म बेहया और बदचलन की

    उस क्षण तुम्हारे आलिंगन में

    महसूस होता है की

    प्रम हो सकता है कितना प्रबल

    इन कमज़ोरों-दुर्बलों के बीच

    जिन्हें कभी हो सका प्रेम

    प्रेमी से कुत्तों से या फूलों से

    सो जमती गई काई

    पनपती गई घृणा आँखों की कोर पर

    और सड़ाती गई इन्हें भीतर हीं भीतर

    पानी की विरलता से मच रहा है हाहाकार

    चहुँ ओर

    सभ्य आँखो में बचा नहीं तनिक भी पानी

    लुप्त होने के कगार पर है

    प्रेम और नफ़रत के बीच की नदी

    कुछ समय बाद

    ये होगा

    कि ध्वस्त कर दिया जाएगा प्रेम

    अभद्र और अशिष्ट बताकर

    और उसी में दबकर

    प्यासा

    दम तोड़ देगा समाज

    अंत हो जाएगा सभ्यता का।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अपूर्वा श्रीवास्तव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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