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मौन

maun

उमा भगत

अन्य

अन्य

और अधिकउमा भगत

    उभरे पेट और पीली आँखों वाले बच्चे

    स्टेशन पर दौड़ते हुए

    जब अचानक ही मुझसे टकरा जाते

    तब ब्रह्मांड का पूरा दुःख एक साथ

    मुझसे टकरा जाता है

    पर इतना दुःख भी काफ़ी नहीं है

    मैं नज़रें फिराए निकल जाती हूँ वहाँ से…

    स्टेशन के पिछले इलाक़े में

    बहुत पुराना एक बरगद का पेड़

    कट रहा है

    काटा जा रहा है

    मशीनों से

    उसे कटते देख गले में पानी अटकने

    जैसा कष्ट होता है

    फिर भी विद्रोह तो दूर

    मैंने प्रार्थना भी नहीं की

    पड़ोस की एक जवान लड़की

    रोती-हाँफती

    हारी-थकी

    पागल हो रही है धीरे-धीरे

    फिर भी

    नहीं है इतनी हिम्मत

    कि उसे कहूँ

    भाग जा! भाग जा!

    अपने प्रेमी के साथ दूर

    बहुत दूर

    स्रोत :
    • रचनाकार : उमा भगत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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