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शिक्षिका

shikshika

अनुवाद : हेमन्त जोशी

लुई आरागों

अन्य

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लुई आरागों

शिक्षिका

लुई आरागों

और अधिकलुई आरागों

    हम खोजते हैं व्यर्थ ही स्मृतियाँ स्कूली बच्चों के नंगे चेहरों की। वह

    तो गुज़र गए हैं सराए के कैलेंडरों की तरह जहाँ घास काटने के

    यंत्रों की शाश्वत मुद्रा है और जो उसकी पेटी में लगी दराँतियों के

    लहराने से भी ज़्यादा अबूझ हैं।

    हम स्वतः सीखते हैं पेंसिल-डिबिया का काला बीज गणित, सतत्

    शैतानी से देखते हैं लड़कियों की गुलाबी जंघाएँ और बेंचों या औरत

    के चश्मे से भी कोमल बच्चों के झबरे बाल। मैं जौ पीटने वाली मशीन

    की बात करना चाहता हूँ जो चलती है उनके हाथों पर ख़ामोश और

    सोच में डूबी हुई घड़ी का अनुसरण करते हुए और बिखेरती है सिरों

    पर चुके हुए कामचोरी के सुनहरे क्षण दंड के विशाल पहिए के

    करिश्मे से।

    काफ़े ला सूर्स, बूलवार से - ज़ेरमें

    (लेकित्युर ओतोमातीक से)

    जुलाई 1919

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 422)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : लुई आरागों
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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