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सेज पर उदासी

sej par udasi

मनोज कुमार झा

अन्य

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मनोज कुमार झा

सेज पर उदासी

मनोज कुमार झा

और अधिकमनोज कुमार झा

    कामाकुल मैंने हाथ रखा उसकी पीठ पर

    उसने रोका व्याकुल विनम्र

    अभी रुकिए आरती की घंटियाँ बज रही हैं

    और सिगरेट कम पीजिए, पत्नी को बुरा लगता होगा

    पहली बार मैंने सोचा एक वेश्या की सेज पर

    थोड़ा-सा ईश्वर रहता जीवन में तो जान पाता कदाचित

    कि यह जो इतना मज़हबी शोर है

    क्या बचा है इसमें थोड़ा-सा जल

    जिससे धुल सके एक लज्जित चेहरा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनोज कुमार झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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