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सागर लहरों-से आओ

sagar lahron se aao

अनुवाद : शंकर लाल पुरोहित

प्रहराज सत्यनारायण नंद

प्रहराज सत्यनारायण नंद

सागर लहरों-से आओ

प्रहराज सत्यनारायण नंद

सागर की लहरों से आते—

घने घुँघराले केश...

मेघ ढाँप दे समूची देह... विदिशा... सागर...

तुम्हें लौटा देता,

बालू ढूह,

झाऊवन की ओर,

लहर गिरने पर घर की ओर लौटता-सा मन

सागर को और कौन देखता माटी छूने पर।

सारा प्रेम मिलता नहीं एक चेष्टा में

अतः तुम बार-बार आती

लहर का नील साहस जुटाकर

तुम्हारे घर को ढाँपने-सा यह आकाश

नीली-नीली भौंहों बीच

लिख देता नील बिन्दु अदृश्य सत्ता के,

उँडेल सके प्रेम तो,

क्या तुम होती एकाकार?

बोलो, कैसे कहूँ...

मत्स्यगंधा... प्रवाल द्वीप की

परित्यक्त नहीं परी,

दूरागत वणिक का लोभ

नारीत्व की ज़रा-सी श्रद्धा लाती नहीं क्षोभ,

नौका को या धीवर की पतवार को,

तुम तैरते समय, समझ पाते अपने हृदय को।

सागर यदि हिलता

पवन की मुट्ठी के तीक्ष्ण शर से

पर्त-पर्त पानी फेंकता अँजुरी में,

भौंहों के नीचे,

कंधे, छाती पर

सारा प्रतिरोध तुम्हारी आत्मा में

और घनिष्ठ करता तुम्हारे प्रेम को।

विदिशा, सौन्दर्य होता

सागर और तुम उसकी विराट चेतना,

झूलते समय लहर कूद जाती पृथक रेखा पर,

सदा बाँध लेती जाल-कंकड़ संपर्क के तार को,

ज़रा-ज़रा चेष्टा में हमारे

पकड़ाई में आता जीवन का सारा का सारा बोझ।

बाहु छू दो... बाहु करे आलिंगन...

माटी को,

आत्मा को,

तुम्हारी सत्ता को

नौका को,

लहर गिरने पर

घर की ओर चलता-सा मन

तुम्हारे कुंचित केश ढाँप रखे

अतल पानी को।

स्रोत :
  • पुस्तक : बीसवीं सदी की ओड़िया कविता-यात्रा (पृष्ठ 196)
  • संपादक : शंकरलाल पुरोहित
  • रचनाकार : प्रहराज सत्यनारायण नंद
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2009
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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