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सत्रह साल की माल

satrah sal ki mal

मदन कश्यप

अन्य

अन्य

मदन कश्यप

सत्रह साल की माल

मदन कश्यप

वे मज़े के लिए उसके अंगों को मरोड़ रहे थे

मज़े के लिए उसके कपड़े फाड़ रहे थे

मज़े के लिए उसे जलती सिगरेट से दाग़ रहे थे

उन्हें बेहद मज़ा रहा था

तमाशबीनों को अचरज हो रहा था

कि वह एक जीवधारी की तरह चीख़ रही थी

बचाने के लिए गुहार लगा रही थी

जबकि उनकी निगाह में वह सिर्फ़ एक माल थी सत्रह साल की!

स्रोत :
  • पुस्तक : दूर तक चुप्पी (पृष्ठ 53)
  • रचनाकार : मदन कश्यप
  • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
  • संस्करण : 2014

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