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सारनाथ की एक शाम

saranath ki ek sham

शमशेर बहादुर सिंह

अन्य

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शमशेर बहादुर सिंह

सारनाथ की एक शाम

शमशेर बहादुर सिंह

और अधिकशमशेर बहादुर सिंह

     

    त्रिलोचन के लिए

    ये आकाश के सरगम
    खनिज रंग हैं
    बहुमूल्य अतीत हैं
    या शायद भविष्य [1]

    तू किस
    गहरे सागर के नीचे
    के गहरे सागर
    के नीचे का
    गहरा सागर होकर
    भिंच गया है
    अथाह शिला से केवल
    अनिंद्य अवर्ण्य मछलियों के विद्युत
    तुझे खनते हैं
    अपने सुख के लिए [2]

    (सुख तो व्यंग्य में ही है और कहाँ
    युग दर्शन
    मित्र
    छल का अपना ही 
    छंद है
    सर्वोपरि मधुर मुक्त
    और कितना एब्स्ट्रैक्ट
    क्योंकि व्यभिचार ही आधुनिकतम
    काव्य कला है और आज
    आलोचना के डॉक्टर
    उसे अनादि भी कहते हैं) [3]

    शब्द का परिष्कार
    स्वयं दिशा है
    वही मेरी आत्मा हो
    आधी दूर तक
    तब भी
    तू बहुत दूर है बहुत आगे
    त्रिलोचन [4]

    वह कोलाहल जो कोंपलों में भरा है
    सुनकर
    तू विक्षुब्ध हो-हो जाता
    क्या उपनिषदों का शोर
    उसे दबा पाता [5]

    वरुणा के किनारे चक्रस्तूप है
    शायद वहीं विश्व का केंद्र है
    वहीं कहीं 
    ऐसा सुनते हैं [6]

    आधुनिकता आधुनिकता
    डूब रही है महासागर में
    किसी कोंपल के ओंठ पे
    उभरी ओस के महासागर में
    डूब रही है
    तो फिर क्षुब्ध क्यों है तू [7]

    तूने शताब्दियों
    सानेट से मुक्त छंद खन कर
    संस्कृत वृत्तों में उन्हें बाँधा सहज हो लगभग
    जैसे य’ आकाश बँधे हुए हैं अपने
    सरगम के अट्टहास में [8]


    शक्ति के साधक अर्थ के साधक
    तू धरती को दोनों ओर से
    थामे हुए और
    आँख मीचे हुए ऐसे ही सूँध रहा है उसे
    जाने कब से [नौ]

    तुझे केवल मैं जानता हूँ [10]

    क्योंकि
    मैं उसी धरती में लोट रहा हूँ उसकी
    ऋतुओं की पलकों-सा बिछा हुआ मैं
    उसकी ऊष्मा में
    सुलग रहा हूँ
    शांति के लिए [11]

    एक वासंती सोम झलक जो मेरे
    अंक से छीन कर चाँद लुका लेता है
    खींच ले जाती है प्राण मेरा
    उस पर भी है तेरी दृष्टि [12]

    आंतरिक एकांत
    वरुणा किनारे की वह पद्य-
    ऊष्मा [13]

      
    स्रोत :
    • पुस्तक : टूटी हुई, बिखरी हुई (पृष्ठ 43)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : शमशेर बहादुर सिंह
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

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