Font by Mehr Nastaliq Web

सपना देखने वाले की कविता

sapna dekhne wale ki kawita

कात्यायनी

अन्य

अन्य

कात्यायनी

सपना देखने वाले की कविता

कात्यायनी

और अधिककात्यायनी

    कहीं

    स्वप्न जारी रहते हैं

    कहीं झींगुरों की चीख़ें।

    कहीं

    सन्नाटा आवाज़ों को कुचलता है

    कहीं आवाज़ों पर दाँव लगते हैं।

    ओस में भीगते हुए

    कोई

    प्रेमिका को देता है

    विदाई का चुम्बन।

    कहीं कोई

    अकस्मात्

    दिल के दौरे से

    सातवीं मंज़िल के अपने फ़्लैट के

    बाथरूम में गिरता है

    मरने के लिए

    कि कोई बच्चा चीख़कर रोता है

    और

    उसका चैन छीन लेता है।

    कहीं शीत से काँपती

    एक स्त्री

    प्लेटफ़ॉर्म के नीम अँधेरे कोने में

    रुपए से भी तेज़ी से

    अपना भाव नीचे गिराती है।

    कहीं से

    भीषण शोर उठता है

    किसी घाटी से

    और किसी पर्वत की चोटी से

    टकराता

    और महासागरों-रेगिस्तानों-बियाबानों-बस्तियों को

    पार करता हुआ

    सीधे किसी हृदय से

    टकराता है।

    चिनगारियाँ छिटकती हैं।

    झींगुर अभी

    चीख़ते रहते हैं।

    स्वप्न

    अभी भी

    जारी

    रहता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कवि ने कहा (पृष्ठ 37)
    • रचनाकार : कात्यायनी
    • प्रकाशन : किताबघर प्रकाशन
    • संस्करण : 2012

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए