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सामूहिक आत्मकथा

samuhik atmaktha

गीत चतुर्वेदी

अन्य

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गीत चतुर्वेदी

सामूहिक आत्मकथा

गीत चतुर्वेदी

और अधिकगीत चतुर्वेदी

    हम ज़मीन में दबे अदृश्य बीजों की तरह

    पानी की प्रतीक्षा कर रहे हैं

    एक बूढ़ा सैनिक हमें आलमारी में रखता है

    जंग के मैदान से जमा किए ख़ाली कारतूसों की तरह

    दौड़ते समय जेब में पड़े छुट्टे पैसों की तरह

    हम शोर करते हैं

    हम शर्ट में लगे वे बटन हैं

    जिनके लिए काज बनाना दर्ज़ी भूल गया

    हम अन्य हैं

    हम इत्यादि हैं

    हम अन्यत्र हैं

    हम वह नमस्ते‍ हैं जिसका जवाब कभी नहीं दिया गया

    लकदक कपड़ों से सजा है हमारा समय

    हम समय के फटे हुए अंतर्वस्त्र हैं

    हमसे कहा जाएगा :

    अपनी ही परछाईं की छाँव में विश्राम करो

    जो कोई हमारी आँखों में झाँकेगा

    उसे विशाल जलप्रपातों का पोस्टर दिखेगा

    हमारी देह पर्यटन स्थल होगी

    हमारी कोख में फेंक जाएँगे सैलानी अपनी प्लास्टिक की बोतलें

    एक दिन हम कहेंगे कि हम नंगे हैं

    और राजा को लगेगा कि हमने उसे नंगा कह दिया

    वह हमारी पीठ पर कोड़े मारेगा

    उन ज़ख़्मों से फूल खिलेंगे

    राजा को उपाधि मिलेगी : 'ईश्वर का सबसे प्रिय माली'

    और हमें किसी मंदिर की मूरत पर चढ़ा दिया जाएगा

    मुस्कुराते हुए जिस बिंदु पर हम ख़त्म होंगे

    ठीक वहीं से फिर शुरू हो जाएगी हमारी कविता

    हम फिर अदृश्य बीज बन जाएँगे

    धरती हमारी उगन का आख्यान रचेगी

    इकतारा बजाकर एक जोगी हमारी कहानी गाएगा

    किसी नदी के घाट पर

    जलते दियों की तरह हम तैरते रहेंगे

    उसी नदी के पाट पर

    स्रोत :
    • रचनाकार : गीत चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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