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समुद्र से लौटेंगे रेत के घर

samudr se lautenge ret ke ghar

अमेय कांत

अन्य

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अमेय कांत

समुद्र से लौटेंगे रेत के घर

अमेय कांत

और अधिकअमेय कांत

    किनारों पर बने रेत के घर

    लौटेंगे समुद्र से एक दिन वापस

    कहीं बज रही होगी एक वायलिन

    और उठती-गिरती लहरों पर

    बरस रही होगी दूधिया रौशनी

    अप्रैल की रातों में

    कट चकी फ़सल के बिछोह में जलते

    गेहूँ के ठूँठ

    नहीं बदल चुके होंगे अगली सुबह

    काली, बेजान राख में

    पहाड़ों पर खड़ी पवनचक्की

    घूमेगी उलटी दिशा में

    और उसमें उलझा

    लिपटा पड़ा इंद्रधनुष

    फैल जाएगा फिर से

    बारिश से धुले

    झक्क नीले आकाश में

    स्रोत :
    • पुस्तक : समुद्र से लौटेंगे रेत के घर (पृष्ठ 67)
    • रचनाकार : अमेय कांत
    • प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
    • संस्करण : 2016

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