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समुद्र के लिए तोहफ़ा

samudr ke liye tohfa

अनुवाद : चंद्रकांत पाटील

वसंत दत्तात्रेय गुर्जर

अन्य

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वसंत दत्तात्रेय गुर्जर

समुद्र के लिए तोहफ़ा

वसंत दत्तात्रेय गुर्जर

और अधिकवसंत दत्तात्रेय गुर्जर

    समुद्र के लिए तोहफ़ा यह शहर

    मेरी काया मैं फेक देता हूँ लहरों पर

    लहरें किनारे पर टकराती हैं

    क्षत-विक्षत जिस्म जूतों तले कुचले जा रहे हैं

    विश्व को उदरस्थ करने वाली संत-मण्डलियाँ किनारे पर हैं

    दिंडी दरवाज़ा : भीतर नापता हूँ विश्व को तोलता हूँ पानी को

    मैं लुढ़काता हूँ शरीर को और स्वीकारता हूँ

    मुझको

    मैं चल रहा हूँ हवा में ऊपर और ऊपर

    बहुत कुछ छूटा जा रहा है बहुत पीछे जा रहा

    बरसों से।

    स्ट्रैंड रोड के किनारे मकान समुद्र की दौलत गिचपिच कीचड़

    सागर की कन्याएँ आंतरिक संघर्ष

    सारा बुझ रहा है किनारा अंग नकार रहे हैं एक-दूसरे को

    अजीब

    हवा में उड़ रही है मौत

    मैं बाहर आता हूँ दरवाज़ा ऊपर और ऊपर

    ऊपर और ऊपर और ऊपर

    तो मैं घर में ऊपर और ऊपर

    पानी-सा बहता हुआ मैं मज़ा लेकर

    हवाई सजा में तैरता हुआ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : साठोत्तर मराठी कविताएँ (पृष्ठ 98)
    • संपादक : चंद्रकांत पाटील
    • रचनाकार : वसंत दत्तात्रेय गुर्जर
    • प्रकाशन : साहित्य भंडार
    • संस्करण : 2014

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